*** हिंदी प्रचार-प्रसार एवं सभी रचनाकर्मियों को समर्पित 'सृजन महोत्सव' चिट्ठे पर आप सभी हिंदी प्रेमियों का हार्दिक-हार्दिक स्वागत !!! संपादक:राजकुमार जैन'राजन'- 9828219919 और मच्छिंद्र भिसे- 9730491952 ***

Thursday, 28 November 2019

पेड़ की दुर्दशा (मुक्तक गीत) - डॉ० धाराबल्लभ पांडेय 'आलोक'


पेड़ की दुर्दशा
(मुक्तक गीत)
आज पेड़ भयभीत हुआ है।
फरसाधर से डरा हुआ है।
कब किसकी दुर्दशा हो जाए,
इसी बात से कंपा हुआ है।।

हाथ दराती रस्सी कंधे।
निर्दयता से बनकर अंधे।
काटें शाखाएं क्रूर बन,
बेच-बेचकर करते धंधे।।

विवश पेड़ अब कहां को जाएं।
कोई ना उसकी मदद को आएं।
अपनी पीड़ा खुद ही सहकर,
अश्रुधार नित बहती जाएं।।

भीषण गर्मी में शीतलता।
वायु, छांव व जल निर्मलता।
दावानल का कोप सहनकर,
फिर भी मधुर, सरस फल फलता।।

पादप जग के महाप्राण हैं।
वहीं महान ऋषि प्रचेतान हैं।
इनकी महिमा-आश्रय पाकर,
ऋषि, मुनि, कवि बन सब महान हैं।।
-०-
डॉ० धाराबल्लभ पांडेय 'आलोक'
अध्यापक एवं लेखक
उत्तराखंड, भारत।


***
मुख्यपृष्ठ पर जाने के लिए चित्र पर क्लिक करें 

3 comments:

सृजन रचानाएँ

गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०
हार्दिक बधाई !!!

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०
हार्दिक बधाई !!!

सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित

सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ