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Tuesday, 17 December 2019

रुचि (लघुकथा) - पूर्णिमा मित्रा

रुचि
(लघुकथा)
प्रात:काल मिल्क बूथ पर मिली को दूध लेते देख श्रीमती बैनर्जी ने कौतुहल पूर्वक पूछा "मिली शादी मुबारक हो, लेकिन तुम्हारा कन्यीदान कौन करेगा?"
"पापा और कौन।" मिली ने प्रफुल्लित। स्वर में जवाब दिया।
"पर मिली हमारे में तो विधवा और विधुर की उपस्थति अशुभ मानी जाती हैं।शास्त्रो में भी ऐसे लोगो को मांगलिक कार्यो से दूर रखने की सलाह दी गईहैं।" श्रीमती बैनर्जी अपना पाण्डित्य प्रदर्शन करते हुए बोली।
"आंटी बच्चो के लिए मां-बाप, मां-बाप ही होते हैं। विधवा या विधुर नहीं। अमंगल की आशंका से मैं अपने पापा को कन्यादान करने के सुख से कैसे वंचित कर दूं। आप तो ईश्वरचन्द्र विद्या सागर के प्रांत की रहनेवाली हो ना।
फिर-----" दूध केपैकेट का कूपन बूथ वाले को देते हुये मिली ने पूछा।
तो वहां मौजूद लोग ताछिल्य भाव से श्रीमती बैनर्जी की और देखने लगे।
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पता:
पूर्णिमा मित्रा
बीकानेर (राजस्थान)
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