*** हिंदी प्रचार-प्रसार एवं सभी रचनाकर्मियों को समर्पित 'सृजन महोत्सव' चिट्ठे पर आप सभी हिंदी प्रेमियों का हार्दिक-हार्दिक स्वागत !!! संपादक:राजकुमार जैन'राजन'- 9828219919 और मच्छिंद्र भिसे- 9730491952 ***

Sunday, 8 December 2019

शहर में (ग़ज़ल) - गोविंद भारद्वाज

शहर में
(ग़ज़ल)

चली नफरतों की हवा फिर शहर में
उठा आफतों का धुआँ फिर शहर में।

जलाया कभी जो चरागे मुहब्बत
वही तो बुझा सा दिखा फिर शहर में।

भुला कर दिलो से पुरानी कहानी
उठाया नया फलसफा फिर शहर में।

किसी को नहीं है किसी से शिकायत
भला यूँ उठा जलजला फिर शहर में।

बढी़ दूरियां दरम्यां आज उन से
हुआ आमना- सामना फिर शहर में।

किया तो किसी ने दगा यार बन के
कोई तो हुआ बेवफा फिर शहर में।

चला है मुफलिसी मिटाने हमारी
मसीहा बना है नया फिर शहर में।

फिजां में घुला है नशा आशिकी का
खुला है नया मयकदा फिर शहर में।

मिली है हमें तो खुदा की इनायत
बढा है तभी रूतबा फिर शहर में।
-0-
पता:
गोविंद भारद्वाज
अजमेर राजस्थान


***
मुख्यपृष्ठ पर जाने के लिए चित्र पर क्लिक करें 

No comments:

Post a Comment

सृजन रचानाएँ

गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०
हार्दिक बधाई !!!

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०
हार्दिक बधाई !!!

सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित

सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ