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Sunday, 8 December 2019

आशना मिलाता नहीं (ग़ज़ल) - क़ासिम बीकानेरी

आशना मिलाता नहीं
(ग़ज़ल)

मेरे जैसा कोई मुझको ग़मज़दा मिलता नहीं,
अपने दर्दो-ग़म से कोई आशना मिलता नहीं,,

शहर में आकर तो सारे गुमशुदा से हो गए,
शख़्स इनमें मुझको कोई गांव का मिलता नहीं,,

कहने को तो सब हैं अपने इस ज़माने में मगर,
पूरी दुनिया में क्यूं कोई आप सा मिलता नहीं,,

काश मेरी आंखें रोती दूसरों के ग़म में भी,
मेरे अंदर ग़म का फिर ये सिलसिला मिलता नहीं,,

लाख सजदे कर लिए ख़ौफ़े-ख़ुदा दिल में नही,
ऐसे आमिल को किसी सूरत ख़ुदा मिलता नहीं,,

क्या हुआ है आदमी को इस जहां में देखिए,
कोई भी इन्सान मुझको बावफ़ा मिलता नहीं,,

एक तू ही तो है मेरे दर्द का बस चारासाज,
तेरे जैसा तो मसीहा दूसरा मिलता नहीं,,

मुश्किलों में साथ देगा कौन 'क़ासिम' अब तेरा,
लाख ढूंढो इस जहां में रहनुमा मिलता नहीं,,
-०-
पता :
क़ासिम बीकानेरी
बीकानेर(राजस्थान)

***
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