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Tuesday, 10 December 2019

माता पिता जीवन के आधार (कविता) - डॉ. रेनू सिरोया 'कुमुदिनी'

माता पिता जीवन के आधार 
(कविता)
मात पिता तो जीवन के आधार होते हैं
ये मांझी है कश्ती की पतवार होते हैं

ममता का स्वरुप है ये सुबह की धूप है
डोर ये विश्वास की प्रार्थना का रूप है
जीवन भर इनके सदा उपकार होते हैं

जन्म प्रदाता भाग्य विधाता पावन ये पहचान है
आरती मंदिर की है ये भक्ति का मीठा गान है
नैतिकता की नीवं वही संस्कार होते है

माँ ममता का आँचल है पिता धूप में छाँव है
माँ फूलों की पगडण्डी तो पिता नेह का गाँव है
रिश्तों की बगियाँ की ये बहार होती है

थामकर ऊँगली चलाया बाँहों में हमको झुलाया
फूल राहों में बिछाएं शूलों को पथ से हटाया
बागवान ये सृष्टि का उपहार होते है

पत्थर थे हम अनगढ़े नेह से हमको तराशा है
जीवन की मुश्किल डगर उम्मीदों की आशा है
तपते मरुथल में शीतल फुहार होते है

किस्मत उनकी उजली जिनको मात पिता का प्यार मिले
धन्य है माँ की कुक्षि कुमुदिनी सारा ही संसार पले
दीप ख़ुशी के इनसे ही त्योंहार होते है
-०-
पता: 
डॉ. रेनू सिरोया कुमुदिनी 
उदयपुर (राजस्थान)
-०-

***
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1 comment:

  1. माता पिता के प्रति श्रद्धा और सम्मान से परिपूर्ण यह गीत बहुत ही भावपूर्ण है । अनेक अच्छी उपमाओं का उपयोग किया है।एक श्रेष्ठ रचना के लिए बधाई।

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