ढोग बंद करो
(लघु कथा)
जय माता शेरे वाली, जय भवानी, जय अम्बे, (लघु कथा)
पूरे नौ दिन कमला देवी सुबह से जयकारा लगा लगा कर पूरे घर को जगा देती है , बहुत श्राद्धा से भक्ति , हवन पूजन करती है ।कमला जी पूरे घर को हिदायत दे कर रखती है , कोई लहसन , प्याज़ नही खायेगा , साात्विक जीवन सब लोग पालन करते है नौ दिन , पर शगुन को यह सब नही पचता उसे कमला जी का यह सब ढोंग लगता ,पर बहू थी कुछ कह नही सकती बस दिल मसोस कर रहती और देखती रहती थी ,
आज अष्टमी थी सुबह से हलवा पूरी चने का प्रसाद बनाया गया था आसपास की कन्याओं को बुलाया गया उनके लिये तोहफ़े भी लाये गये
कन्या आई उनको पाटे पर बैठा कर कमला देवी पैर पूजने लगी अभी एक कन्या का पैर पूजकर दुसरी का पूजने जा रही थी की शगुन चिल्ला पडी बंद करे यह ढोंग कन्या पूजने का , घर में आने वाले बच्चे की जाँच करवाने की जिद्द की कही लड़की न आ जाये बेटा चाहिऐ और एक दिन कन्या पूजन का नाटक ,
क्यो माँजी क्या मेरी कोख में बेटी हुई तो , क्यो, करवाऊ टेस्ट मैं नही कराऊँगी जो भी है बेटी या बेटा , मेरा बच्चा है , वह दुनियाँ में आयेगा
सुन रही है आप माँ जी यही सही कन्या पूजन होगा आप का ...
कमला देवी ने शकुन को गले लगा कहाँ सही कह रही हो बेटी
मैं आज पूरी तरह सम्मान से इन कन्याओं का पूजन करुगी व माता रानी से आशीर्वाद में एक प्यारी सी परी मागूगी जो मेरी इस बगियां को गुलजार कर दे
चल देर हो रही है मैं पैर पूजती हूँ तुम सबको प्रसाद बाँटो ..
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स्थाई पता
अलका पाण्डेय
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बहनजी सुंदर , सटीक , सार्थक संदेश है लघुकथा में। बधाई!
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