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Friday, 13 December 2019

जंगल का हाथी (बालगीत) - सुरजीत मान जलईया सिंह


जंगल का हाथी
(बालगीत)
जंगल से इक हाथी आया
हमें दिखाता खेल
कभी पाँव ऊपर करता है
कभी चीख चिल्लाता
कभी कभी हम बच्चों की वो
बातों पर इतराता
उसकी खातिर हम आपस में
करते ढक्कम पेल
जंगल से इक हाथी आया
हमें दिखाता खेल
बड़ी बड़ी आंखें हैं उसकी
एक सूंड है लम्बी
खम्भे जैसे पाँव उसके
और तनिक ना दम्भी
भार हमारा अपने ऊपर
हंस कर जाता झेल
जंगल से इक हाथी आया
हमें दिखाता खेल
इतनी काया है विशाल पर
अंहकार ना पाया
धन्य धन्य वो माँ सारी हैं
जिनने इनको जाया
बच्चों की खुशियों की खातिर
बन जाते यह रेल
जंगल से इक हाथी आया
हमें दिखाता खेल
-०-
सुरजीत मान जलईया सिंह
दुलियाजान (असम)
-०-
***
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