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Thursday, 12 December 2019

माँ (मुक्तक रचना) - अब्दुल समद राही

माँ
(मुक्तक रचना)
माँ
एक सम्पूर्ण नारी
वट-वृक्ष
की तरह
देती है
छाँव
सर्दी, गर्मी, वर्षा
हर मौसम में
तनी रहती है
अडिग
अपनों के लिए
सर्दी में कम्बल
गर्मी में हवा
वर्षा में छत
बनकर करती है
हिफाजत
मगर
माँ की कोख से
बाहर
फैंकी जा रही है
कौंपल
जो
वट-वृक्ष
बनने को आतुर है
देना चाहती है
शीतल और ठण्डी
एक आत्मीय स्नेेहिल छाँव।
***
पता:
अब्दुल समद राही 
सोजत (राजस्थान) 
-०-

***
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