◆ फ़टी जेब ◆
(कविता)
कल शाम को
घर आते वक़्त
गिर गए ख्वाब कई
मेरी फ़टी जेब से।
अधूरे सपनों की गिन्नियों
को कब से सम्हाले
चल रही थी।
पूरे कर लूंगी किसी दिन
फुरसत पाकर
जीने की इस आपाधापी से।
भूल चुकी थी कि जेब में भी
सुरक्षित नहीं रहते ख्वाब।
अगर तुरपाई समय पर
ना करो तो फिसल सकते हैं
अनमोल सपने भी।
अब उन अधूरे सपनों
को पूरा करने का
हौसला और जुनून
दिल में जगाना
होगा फिर से।
स्वयं के देखे सपने भी
याद रखने होंगे।
तभी हम पा सकेंगे
उत्कर्ष जीवन में।-०-
अलका 'सोनी'
मधुपुर (झारखंड)
घर आते वक़्त
गिर गए ख्वाब कई
मेरी फ़टी जेब से।
अधूरे सपनों की गिन्नियों
को कब से सम्हाले
चल रही थी।
पूरे कर लूंगी किसी दिन
फुरसत पाकर
जीने की इस आपाधापी से।
भूल चुकी थी कि जेब में भी
सुरक्षित नहीं रहते ख्वाब।
अगर तुरपाई समय पर
ना करो तो फिसल सकते हैं
अनमोल सपने भी।
अब उन अधूरे सपनों
को पूरा करने का
हौसला और जुनून
दिल में जगाना
होगा फिर से।
स्वयं के देखे सपने भी
याद रखने होंगे।
तभी हम पा सकेंगे
उत्कर्ष जीवन में।-०-
अलका 'सोनी'
मधुपुर (झारखंड)
बहुत खूब
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
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