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Saturday, 7 December 2019

समसंवेदना (लघुकथा) - डॉ० भावना कुँअर सिडनी (ऑस्ट्रेलिया)

समसंवेदना
(लघुकथा)
ब्ल्यू टंग लिजर्ड बहुत शान्त प्रवृत्ति की होती है उसके कोई न छेड़े तो नुकसान नहीं पहुँचाती।
हमारा ऑफिस प्रकृति से घिरा हुआ था, तो अक्सर ही ब्ल्यू टंग लिजर्ड का एक जोड़ा घूमते-फिरते हमारे ऑफिस के अन्दर आ जाया करता था । लड़कियाँ ज्यादातर डरकर कुर्सी पर चढ़ जाया करती थीं लेकिन लड़कों में से कोई भी उसको हाथ से पकड़कर उसके प्यार से सहलाते हुए बाहर गार्डन में छोड़ दिया करता ।ये आए दिन हुआ करता।

मैंने उस जोड़े पर पहचान के लिए निशान भी बना दिया था ये देखने को कि क्या अक्सर वही आया करता है कि कोई और भी।

आज भी लिजर्ड जब वहाँ आई तो हमने उसको गार्डन में छोड़ा और हम सब घर के लिए निकल पड़े। शाम का वक्त जो था।

अगली सुबह जब हम ऑफिस आए तो मन दुःख से भर गया।सामने बुरी तरह कुचली हुई वही ब्ल्यू टंग लिजर्ड पड़ी थी,शायद कोई वाहन उसपर चढ़ गया था।हमने उसे उठाकर एक तरफ रख दिया कि उसका साथी उसको खोज़ते हुए जरूर आएगा तो उसको कहीं न पाकर जाने उस पर क्या बीते।

हम सब काम में मशगूल हो गए, पर मन सबका बहुत दुःखी था । तभी देखा कि उसकी साथी लिजर्ड वहाँ आई और बहुत बेचैनी से इधर-उधर चलने लगी। आज हमने उसे नहीं उठाया एक तो वो बेचैन थी और हम शायद यह भी नहीं चाहते थे कि वो अपने साथी को इस हालत में देखे,पर उसके साथी को उससे मिलाना भी चाहते थे।बहुत असमंजस की स्थिति थी।इतने में वो खुद ही बाहर चली गई।

अगले दिन जब हम ऑफिस आए तो दर्द की गहरी ठंडी लहर दिल को चीरती चली गई।जब देखा कि वो दूसरी साथी लिजर्ड अपने साथी के बराबर में पड़ी है और अपने प्राण त्याग चुकी है।
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डॉ० भावना कुँअर 
सिडनी (ऑस्ट्रेलिया)

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