पिता अपने परिवार की
चाहता है प्रगति
और सन्तान की खुशी
बदले में
कुछ भी नहीं चाहता वह परिवार से
केवल फलते-फूलते
देखना चाहता है अपना परिवार ।
सन्तान चले अच्छे रास्ते पर
और करे परोपकार
तो सुकून मिलता है
रहे सलामत सदा परिवार उसका
बस यही चाहता है।
नहीं चाहता'
कुमार्ग गामी सन्तान
नहीं चाहता कोई पिता
चाहता है हर पिता सुमार्ग गामी सन्तान
चीर हरण करे
दुर्योधन-सा कुपुत्र नहीं चाहता
कोई पिता
पुत्र मोह में पड़ कर
अंधे धृतराष्ट्र-सा जीवन
जीना नहीं चाहता
दोहराना द्वापर युग को
कदापि नहीं चाहता कोई पिता।
चाहता है प्रगति
और सन्तान की खुशी
बदले में
कुछ भी नहीं चाहता वह परिवार से
केवल फलते-फूलते
देखना चाहता है अपना परिवार ।
सन्तान चले अच्छे रास्ते पर
और करे परोपकार
तो सुकून मिलता है
रहे सलामत सदा परिवार उसका
बस यही चाहता है।
नहीं चाहता'
कुमार्ग गामी सन्तान
नहीं चाहता कोई पिता
चाहता है हर पिता सुमार्ग गामी सन्तान
चीर हरण करे
दुर्योधन-सा कुपुत्र नहीं चाहता
कोई पिता
पुत्र मोह में पड़ कर
अंधे धृतराष्ट्र-सा जीवन
जीना नहीं चाहता
दोहराना द्वापर युग को
कदापि नहीं चाहता कोई पिता।
-०-
पता-
पता-
सुंदर रचना के लिए बधाई सर
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