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Thursday, 23 January 2020

जीवन पथ... (कविता) - राजेश सिंह 'राज'

जीवन पथ...
(कविता)
जीवन पथ...
राह कठिन हो कितनी भी,
'पथिक' नही अब रुकना है
संघर्षों से मिलती मंजिल,
हरदम, हरपल रटना है

बीत गए पल, जीवन था
नित, पथ, जीवन चलना है
अंधकार में, पूण्य पुंज बन
खुद को खुद ही ढलना है

कदम-कदम पे, जीत जश्न
और, मन उत्साह से भरना है
राह 'पथिक' के साथ- साथ
कठिन परिश्रम करना है

अहंकार, मदभाव, बिलगता
भृम बस भेद से बचना है
टेढ़ा - मेढ़ा रस्ता सारा
सम्हल-सम्हल पग धरना है

प्रेम भाव औ सहज सादगी,
अंतर मन में रखना है
जग पथिक 'राज' को याद करें
उस जीवन 'पथ' को गढ़ना है
-०-
राजेश सिंह 'राज'
बाँदा (उत्तरप्रदेश)

-०-

***
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