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Wednesday 15 January 2020

तेरी हथेलियाँ (कविता) शिखा सिंह

तेरी हथेलियाँ
(कविता) 
तेरी हथेलियों के छाले
मेरी प्यार की यादों को
छोटा कर देतीं है
जो धूप और छाँव को
देखें बगैर माता पिता
बेच देते है अपनी कीमती कुंजी
जो जीवित रखती है
अपने रिश्तों के ताले को
बिना नाप तौल के
गालियों की बौछार से
भर लेता है पेट अपना
ले आते है शाम की खुशियाँ
बटोर कर मैली कुचैली थैली में
परोसते है फिर भी प्रेम से
अपने जिगर के टुकड़ों को
उनकी साँसों से ही
बच्चों की किलकारियां है
जहाँ कुछ हो न हो
प्रेम का बंधन ही
बाँध कर भूख और प्यास
मिटा देती है
ऐसे जीते है रिश्ते
फुटपात पर बिना शर्त के
प्रेम से

-०-
पता 
शिखा सिंह 
फतेहगढ़- फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश)

-०-

***
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