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Wednesday 15 January 2020

उत्सव प्रिय : मनुष्य (आलेख) - डॉ गुलाब चंद पटेल

उत्सव प्रिय : मनुष्य
(आलेख )
महा कवि कालिदास ने यथोचित कहा है कि, उत्सव सब किसी लोगों को प्रिय है,हमारे उत्सव याने कि हमारा जीवन कोई न कोई जीवन दर्शन पेश कर रहा है, मकर संक्रांति भी ऎसा ही कुछ दर्शन करा रहा है,
हमारे युवा त्योहार चंद्र के क्षय और वृद्धि के आधर पर मनाते हैं, लेकिन सिर्फ एक मकर संक्रांति सूर्य की गति, (दिशा) के आधार पर मनाया जाता है, पोष मास में सूर्य सूर्य मकर संक्रांति मे प्रवेश करता हे, इस लिए उसे मकर संक्रांति याने कि उत्तरायण कहा जाता है.
दूसरी एक आश्चर्य की बात यह है कि, तिथि के साथ मनाए जाने वाले उत्सवों में से सिर्फ मकर संक्रांति अंग्रेजी महीने की 14 जनवरी के दिन पोष मास में ये पर्व आता है, प्राचीन भारतीय संस्कृति के अनुसार हम मकर संक्रांति मनाते हैं, और पतंग उड़ाते है, लेकिन पतंगोत्सव तो उभर आया है, चीन se, चीन वासी अंतरिक्ष में बस्ते अपने पूर्वज और देवता तक मैसेज पहुचाने के लिए, प्राथना करते, हे. धीरे धीरे ये राष्ट्र की सीमा लांग कर पतंग उत्सव आया है, हमारे देश में, इस लिए ठंड के दिनों में इसे सहज रूप से हो जाता है सूर्य स्नान, देखिए, शरीर स्वास्थ को आनंद के साथ जोड़ लेने की कितनी अद्भुत कला हे.
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न प्रकार से आज पतंग उत्सव मनाया जाता है. 
हमारे गुजरात राज्य मे मुख्य मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की सर कार ने मकर संक्रांति पर्व अंतराष्ट्रीय पतंगोत्सव का आयोजन बर्षों पहले बहुत सारे सालो से शुरू किया है, और गुजरात के मुख्य शहरो मे समग्र विश्व के पतंग बाजों ने विभिन्न प्रकार की पतंग उड़ाने के लिए आमंत्रित किए जाते हैं, पतंगोत्सव देखने के लिए, हज़ारों लोग इकट्ठे होकर पतंगोत्सव का आनंद लेते हैं, 
सूर्य के संक्रमण के साथ हमारा जीवन जुड़ा हुआ है, वह दृष्टिकोण से यह उत्सव का संस्कृतिक रीत से महत्व अनोखा है, सूर्य अपनी आलस मिटाकर अंधकार के प्रति आक्रमण करने का प्रयास उस दिन करता हे, याने कि ये दिनों से धीरे धीरे लंबे होते जाते हैं, और रात्री छोटी होती जा रहती है, अच्छे कार्य करने के लिए शुभ दिनों की शुरुआत भी होती है, 14 दिसंबर से शुरू हुए क मुरत का जन्म होता है, जनवरी में मकर संक्रांति के दिन उसका अंत आता है, हिंदू मकर संक्रांति के बाद ही अपनी मृत्यु आए ऎसा मानते हैं, यमराज को मकर संक्रांति तक रोकने वाले पितामह भीष्म इसका श्रेष्ठ उदाहरण है, 
आनंदोत्सव के साथ मनके संकल्प बदलने चाहिए विचार क्रांति लानी चाहिए ऎसा संदेश भी मकर संक्रांति दे जाती है, सक्रांति याने कि संघ क्रांति, किसी भी महान कार्य मे संगठन की जरूरत होती है, संघ में विशिष्ट शक्ति होती है, जो किसी भी कठिन कार्य को सहज और सफल बनाता है, 
संघ मे जुड़े हुए लोगों के सम्बंध स्नेहपूर्ण और मधुर होना चाहिए, ये बात की स्मृति रूप संक्राति के दिन तिल गुड के लड्डू एक दूसरे को देने की प्रथा शायद इसी लिए हे, तिल मे स्निग्धता है, रुक्ष कठोर बने हुए संबंधो मे तिल स्निग्धता ला सकते हैं और गुड की मधुरता मन की कडवा हट दूर करे, ऎसे स्नेह और मिठास का प्रतीक है, तिल और गुड, महाराष्ट मे तो लोग एक दूसरे को तिल गुड देते हैं, और देने के समय कहते हैं कि, "तिल गुल ध्या आनी गॉड गॉड बोला" तिल के लड्डू मे पेसे रखकर देने की प्रथा गुप्त दान का महत्व समझाता है, लोग गरीबो को यथा शक्ति गुप्त दान का महत्व समझाता है, लोग गरीबो को यथा संभव दान देते हैं, पशु ओ को घुघुरि खिला हे, श्रीमंत लोग सोने का दान भी देते हैं 
यह उत्सव में तिल के लड्डू को महत्व पूर्ण स्थान प्राप्त हुआ है, उसका नैसर्गीक कारण भी है, सर्दी की ऋतु में जकड़े हुए अंगों को लहू का भ्रमण मिलता है, शरीर रुक्ष हो जाय तब स्निग्धता की जरूरत होती है, स्निग्धता का गुण तिल मे रहा हैं, आयुर्वेद के अनुसार यह ऋतु में तिल उत्तम खुराक हे, 
तात्विक तात्विक धार्मिक दृष्टीकोण से देखा जाए तो ये अदृश्य ईश्वरीय शक्ति कोई अज्ञात बाल्कनी मे खड़ी रहकर अपने जीवन रूपी पतंग को उड़ा रहे हैं, हमारी पतंग की डोर उनके हाथ में है, वो डोर उनकी हाथो से छूट न जाय, हमारा जीवन अस्तव्यस्त न हो जाय उस लिए प्रभू को प्रार्थना करनी होगी,, हे प्रभु, मेरा जीवन पतंग जोक न जाय उस लिए, मेने तेरे हाथ में उसकी डोर दी है, सम्भाल ना, 
ये पर्व निमित सूर्य का प्रकाश, तिल गुड की मिठास और प्रभु पर विश्वास हमारे जीवन में सक्रिय होता है, तब ही ये हमारे जीवन का सही संक्रमण गिना जाता है! 
मकर संक्रांति का पर्व

14 जनवरी को ये दिन पवित्र पर्व के रूप में पूरे देश में "मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है, ये दिन का भारतीय खगोल, ज्योतिष, भौगोलिक, धार्मिक एवं स्वास्थ्य की दृष्टि से विशेष महत्‍व पूर्ण हे ये जानकारी बहुत कम लोगो के पास हे, उस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है
भारतीया जायोतिष ग्रंथों में मकर संक्रांति के समय के अनुसार नियम दिन, नक्षत्र, योग जेसी चीजो को लक्ष में रखकर देश के भविष्य का फल कथन किया जाता है, मकर संक्रांति अगर सोम के दिन होती है तो, दोहरा, मंगल के दिन होती है तो महोदरी, बुध के दिन होती है तो मंदाकिनी, गुरु के दिन होती है तो नंदा, सुक्र के दिन होती है तो मिश्र और शनि के दिन होती है तो राक्षसी नाम दिया जाता है, ग्रंथों में बताया हे कि, ये दिन तिल का उपयोग विविध स्वरूपों में किया जाना चाहिए, शिवालय में तिल के तेल में दिया जलाना चाहिए, उस दिन सूर्य नारायण को दूध अर्पित करना चाहिए, पतंग चढ़ाने का भी सूर्य का संकेत है, वही सूर्य नारायण हे जिसने पांडवों को वन वास के दौरान अच्छी तरह जीने के लिए अक्षय पात्र दिया था,
तमिल में मकर संक्रांति का विशेष महत्व है प्रथम दिन में सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, उस दिन को चार दिनका का पौंगल को त्योहार के रूप में मनाया जाता है सूर्य पूजा केन्द्र स्थान पर होती है और मकर संक्रांति के दिन मंत्र, साधना, उपासना, विध्यभ्यास, स्पर्धात्मक प्रवूती, आर्थिक आयोजन, बचत, मूडी निवेश, नवीन धान्य का प्रसाद औषध के लिए वनस्पति की उपार्जन का काम करने का विशेष महत्व है
ये साल 14 जनवरी 2020 के दिन पोष वद चौथ मंगलवार को समय में सूर्य निरेयान मकर राशि में प्रवेश करता है
उतरायन और मकर संक्रांति मे भिन्नता है उतरायन का अर्थ है सूर्य का सायन मकर राशि में प्रवेश जब कि, मकर संक्रांति का अर्थ है सूर्य का निरेयान मकर राशि में प्रवेश करना, भूतकाल में स्वामी विवेकानंद जी का जन्म 12 जनवरी 1863 मकर संक्रांति के दिन हुआ था. अभी 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाती है लेकिन नजदीकी भविष्य में 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाएगी, 72 से 73 सालो के बाद मकर संक्रांति एक दिन आगे यानी कि 14 के बजाय 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाएगी, मकर संक्रांति मे स्वास्थ्य मे सुधार होता है, सफलता प्राप्त होती है, मकर संक्रांति के दिन राशिवाली व्यक्ति को नीचे दी गई जानकारी के मुताबिक काम करने से लाभ प्राप्त होता है
मेष और वरुषभ राशि सूर्य मंत्र के साथ मंगल मंत्र की एक एक माला जापे,
वरुषभ और तुला राशि वाली व्यक्ति को सूर्य के मंत्र के साथ एक एक माला सुक्र की भी करना होगा, 
मिथुन और कन्या राशि वाली व्यक्ति को सूर्य मंत्र के साथ बुध मंत्र की एक एक माला जपना होगा 
कर्क राशि वाली व्यक्ति को चंद्र के मंत्र के साथ सूर्य मंत्र की दो दो माला करनी होगी. धनु और मीन राशि वाली व्यक्ति को सूर्य के मंत्र के साथ गुरु का मंत्र सूर्य मंत्र के साथ एक एक माला करनी होगी
मकर और कुंभ राशि वाली व्यक्ति को सूर्य मंत्र के साथ शनि मंत्र की एक एक माला धर्म ग्रंथों के अनुसार करनी चाहिए
मकर संक्रांति के दिन कुत्तो को लड्डू बनाकर खिलाया जाता है, युवा और आदमी लोग पतंग चढ़ाने के लिए छत पर चले जाते हैं और पूरे दिन म्यूज़िक के साथ पतंग चढ़ाते हैं, तिल के व्यंजन खाते हैं, गरीबो को दान दिया जाता है, गौ माता को घास खिलाया जाता है, पतंग के शौखीं न लोग मकर संक्रांति के दूसरे दिन को बासी उतरायन के रूप में मनाकर दूसरे दिन भी पतंग चढ़ाने की अपनी इच्छा पूरी कर लेते हैं!
-०-
डॉ गुलाब चंद पटेल
गाँधी नगर  (गुजरात)
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***
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1 comment:

  1. सुंदर आलेख गुलाब जी.....
    शुभकामनाएँ स्वीकार करें ।

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