◆ वसंत आ रहा है ◆
(कविता)
ठिठुरती सर्दियों का
अब अंत आ रहा है
छा रही लालिमा
पलाश की
अपना वसंत
आ रहा है
आम्र मंजरी से
सजा रथ लेकर
अनंग आ रहा है
स्मरण आज
फिर शकुंतला को
दुष्यंत आ रहा है
आओ करें स्वागत कि
वसंत आ रहा है
अब अंत आ रहा है
छा रही लालिमा
पलाश की
अपना वसंत
आ रहा है
आम्र मंजरी से
सजा रथ लेकर
अनंग आ रहा है
स्मरण आज
फिर शकुंतला को
दुष्यंत आ रहा है
आओ करें स्वागत कि
वसंत आ रहा है
रचना को प्रकाशित करने के लिए हार्दिक आभार....💐💐
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