स्वागत ऋतुराज बसंत का
(कविता)
सरसों के पीले फूलों ने
अलसी के नीले फूलों से कहा
चलो चलें करने स्वागत
ऋतुराज बसंत का
आम के बौरों की सुगंध ने
हवा से कर ली गलबहियाँ
और निकल पड़े करने स्वागत
ऋतुराज बसंत का
गेहूँ की सुनहली बालियों ने
झूम-झूम झूमर गाते
चंवर डोलाते अरहर से कहा
चलो चले करने के स्वागत
ऋतुराज बसंत का
धानी चुनर पीली साड़ी पहन के
ओढ़ के नीली ओढ़नी
गांव की सब सखियां सारी
निकल पड़ी स्वागत करने
ऋतुराज बसंत का
अबीर गुलाल उड़ावत
ढोल शंख मृदंग बाजावत
मनचलों की टोली चली
करने स्वागत
ऋतुराज बसंत का
शब्दों के फूलों से
सुरों के धागों से
कविता की माला बना
"दीनेश" करने चला स्वागत
ऋतुराज बसंत का
स्वागत ऋतुराज बसंत का -०-
पता:
अलसी के नीले फूलों से कहा
चलो चलें करने स्वागत
ऋतुराज बसंत का
आम के बौरों की सुगंध ने
हवा से कर ली गलबहियाँ
और निकल पड़े करने स्वागत
ऋतुराज बसंत का
गेहूँ की सुनहली बालियों ने
झूम-झूम झूमर गाते
चंवर डोलाते अरहर से कहा
चलो चले करने के स्वागत
ऋतुराज बसंत का
धानी चुनर पीली साड़ी पहन के
ओढ़ के नीली ओढ़नी
गांव की सब सखियां सारी
निकल पड़ी स्वागत करने
ऋतुराज बसंत का
अबीर गुलाल उड़ावत
ढोल शंख मृदंग बाजावत
मनचलों की टोली चली
करने स्वागत
ऋतुराज बसंत का
शब्दों के फूलों से
सुरों के धागों से
कविता की माला बना
"दीनेश" करने चला स्वागत
ऋतुराज बसंत का
स्वागत ऋतुराज बसंत का -०-
पता:
दिनेश चंद्र प्रसाद 'दिनेश'
कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)
-०-
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