जाड़ा दूर भगाना तुम
(कविता)
सूरज भैया जल्दी आकर ,
जाड़ा दूर भगाना तुम ।
सर - सर , सर - सर हवा चल रही ,
गर्मी हमें दिलाना तुम ।।1।।
जाड़ा के इन दिनों में ,
दूर कहीं मत जाना तुम ।
पास हमारे रहकर भैया ,
जाड़ा दूर भगाना तुम ।।2।।
जाड़ा हमें कपाता थर - थर ,
उसे तनिक समझना तुम ।
ठिठूरन में कांपे न कोई ,
जाड़ा दूर भगाना तुम ।।3।।
-०-
जाड़ा दूर भगाना तुम ।
सर - सर , सर - सर हवा चल रही ,
गर्मी हमें दिलाना तुम ।।1।।
जाड़ा के इन दिनों में ,
दूर कहीं मत जाना तुम ।
पास हमारे रहकर भैया ,
जाड़ा दूर भगाना तुम ।।2।।
जाड़ा हमें कपाता थर - थर ,
उसे तनिक समझना तुम ।
ठिठूरन में कांपे न कोई ,
जाड़ा दूर भगाना तुम ।।3।।
-०-
डॉ. प्रमोद सोनवानी
रायगढ़ (छतीसगढ़)
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