◆ लाल गुलाब◆
(लघुकथा)
किरण गुस्से में लाल हुए जा रही थी। उसके गमले में खिले लाल गुलाब गायब थे, वो बड़बड़ाये जा रही थी कि बस एक बार पता चल जाये कि किसने तोड़ा है फिर उसे अच्छे से सबक सिखाएगी । सुबह ही उसने देखा था कि किराएदार का छोटा लड़का वहीं गमले के पास खेल रहा था, जरूर उसी ने तोड़ा होगा। दनदनाते हुए वो अपने किराएदार के पास पंहुच गयी और गुस्साते हुए खूब खरी-खोटी सुनाई। धमकी भी दे दी कि फिर ऐसी हरकत की तो घर छोड़कर जाना होगा। इतने कम किराये में दूसरा घर उन्हें कहीं नहीं मिलेगा।
अब जाकर उसे थोड़ी शान्ति मिल रही थी। फिर उसे ध्यान आया कि संध्या-वंदन का समय हो गया है। घर जाकर आरती करनी चाहिए । तभी उसकी दादी ने बताया कि उन्होंने आज आरती कर ली है और आज खिले लाल गुलाब भी पूजा में चढ़ा दिया है।
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अलका 'सोनी'बर्नपुर- मधुपुर (झारखंड)
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रचना को प्रकाशित करने के लिए हार्दिक आभार.....💐💐
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