रंग...
(कविता)
स्वभाव आकाश का,काया गिरगिट की,
आंदोलित लहरें समुद्र की,
मिज़ाज मौसम का,
केंचुल साँप का,
बदलता है- 'रंग'
एक निश्चित समय पर;
मनुष्य इनसे कहीं ज्यादा
बदलने लगा है-' रंग '
पल-प्रतिपल-हर-क्षण
रंग स्वभाव का सूचक है ;
रंग जीवन का गूढ़ रहस्य है ।
-०-
सत्यम भारती ने रंग की अच्छी व्याख्या दी है, हार्दिक बधाई
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