आँखें चार मुहब्बत
(ग़ज़ल)
दुनिया भर की रार मुहब्बत
करते फिर भी यार मुहब्बत।
लेला मजनू का किस्सा क्या
बिकती जब बाजार मुहब्बत।
सारी दुनिया एक तरफ है
ना माने पर हार मुहब्बत।
घर आँगन से खूब बगावत
करती हैं दिलदार मुहब्बत।
नींद उड़ गई चैन छिन गया
दिल में मारा मार मुहब्बत।
जाने कितने दिल टूटे हैं
करके पहली बार मुहब्बत ।
गाँव शहर हर चौराहे पर
करती आँखें चार मुहब्बत । -०-
पता:
मृदुल कुमार सिंह
(ग़ज़ल)
दुनिया भर की रार मुहब्बत
करते फिर भी यार मुहब्बत।
लेला मजनू का किस्सा क्या
बिकती जब बाजार मुहब्बत।
सारी दुनिया एक तरफ है
ना माने पर हार मुहब्बत।
घर आँगन से खूब बगावत
करती हैं दिलदार मुहब्बत।
नींद उड़ गई चैन छिन गया
दिल में मारा मार मुहब्बत।
जाने कितने दिल टूटे हैं
करके पहली बार मुहब्बत ।
गाँव शहर हर चौराहे पर
करती आँखें चार मुहब्बत । -०-
पता:
मृदुल कुमार सिंह
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