अरमान बाँटूँगी
(कविता)
आ रही हूँ जीतकर
अरमान बाँटूँगी...!
पीटकर हर शब्द को मैं
की हथौड़े से नुकीले ,
आँच पर पिघला रही हूँ
मै तुम्हारी भावना को ,
कर रही हूँ आरिओं से
तेज संचित कामना को ,
वक्त के मुख से मलिन
मुस्कान काटूँगी !
आ रही हूँ जीतकर
अरमान बाँटूँगी..!
भूख से बेहाल माँ की
अस्थियाँ स्तन से लिपटी ,
झाँकती है आबरू
नजरें टिकी शैतान की है ,
दुश्मनों की मौत का
सामान बाँटूँगी !
आ रही हूँ जीतकर
अरमान बाँटूँगी...!
रोटियाँ आश्वाशनों की
सड़क से संसद तलक हैं ,
पेट की भठ्ठी यहाँ
वादे निवालों से भरे हैं ,
छीनकर तेरी हँसी
मुस्कान बाँटूँगी !
आ रही हूँ जीतकर
अरमान बाँटूँगी..!
-०-
पता:
सुन्दर रचना के लिये हार्दिक बधाई है।
ReplyDelete