बुराई में अच्छाई
(कविता)
कौन कहता है
कैकेयी बुरी थी
अपना स्वार्थ सिद्ध करना
क्या बुरी बात है ?
हर कोई तो अपना
स्वार्थ सिद्ध करता है
कैकेई ने किया
तो क्या बुरा किया
हर मां अपने बच्चे का
भला चाहती है
कैकेई ने अपना
स्वार्थ नहीं सिद्ध किया
लोगों को लगता है कि
वो स्वार्थी थी
लेकिन नहीं
वो स्वार्थी नहीं
परमार्थी थीं
अगर राम को
बन में जाने का
आदेश न देती
तो वनवासियों का
कल्याण कैसे होता
तरण केवट का कैसे होता
कैसे होता शबरी का उद्धार
कैसे जटायु
एक नारी के लिए
शहीद होते
कैसे होता
एक औरत पर
बुरी नजर रखने वाले
बाली का वध
कैसे होती मित्रता
राम और सुग्रीव की
कैसे होते इतने प्रसिद्ध
नल और नील
कैसे राम नाम की
महिमा गाई जाती
कैसे एक साधारण भालू
हनुमान को उनकी
शक्ति याद दिला कर
ऋक्षराज जामवंत कहलाते
तब हनुमान
हनुमान न होकर
एक साधारण
वानर ही रहते
कैसे प्रेरणा दायक होता
एक गिलहरी का प्रयास
तब सोचिए विचारिये
इस तरह का प्रयास
आप सब भी कीजिए
बुराई में भी अच्छाई ढूँढ़िये
कैकेई को गाली
मत दीजिए
उसके दूरंदेशी को
पहचानिए
उसे भी श्रेष्ठ मां का
दर्जा दीजिए
बुराई में भी अच्छाई ढूँढ़िये
"दीनेश" बुराई में भी अच्छाई ढूँढ़िये-०-
पता:
कैकेयी बुरी थी
अपना स्वार्थ सिद्ध करना
क्या बुरी बात है ?
हर कोई तो अपना
स्वार्थ सिद्ध करता है
कैकेई ने किया
तो क्या बुरा किया
हर मां अपने बच्चे का
भला चाहती है
कैकेई ने अपना
स्वार्थ नहीं सिद्ध किया
लोगों को लगता है कि
वो स्वार्थी थी
लेकिन नहीं
वो स्वार्थी नहीं
परमार्थी थीं
अगर राम को
बन में जाने का
आदेश न देती
तो वनवासियों का
कल्याण कैसे होता
तरण केवट का कैसे होता
कैसे होता शबरी का उद्धार
कैसे जटायु
एक नारी के लिए
शहीद होते
कैसे होता
एक औरत पर
बुरी नजर रखने वाले
बाली का वध
कैसे होती मित्रता
राम और सुग्रीव की
कैसे होते इतने प्रसिद्ध
नल और नील
कैसे राम नाम की
महिमा गाई जाती
कैसे एक साधारण भालू
हनुमान को उनकी
शक्ति याद दिला कर
ऋक्षराज जामवंत कहलाते
तब हनुमान
हनुमान न होकर
एक साधारण
वानर ही रहते
कैसे प्रेरणा दायक होता
एक गिलहरी का प्रयास
तब सोचिए विचारिये
इस तरह का प्रयास
आप सब भी कीजिए
बुराई में भी अच्छाई ढूँढ़िये
कैकेई को गाली
मत दीजिए
उसके दूरंदेशी को
पहचानिए
उसे भी श्रेष्ठ मां का
दर्जा दीजिए
बुराई में भी अच्छाई ढूँढ़िये
"दीनेश" बुराई में भी अच्छाई ढूँढ़िये-०-
पता:
दिनेश चंद्र प्रसाद 'दिनेश'
कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)
-०-
लाज़वाब
ReplyDeleteसुन्दर
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