फलो-फूलो
(कविता)
तुम फलो–फूलो
और खूब बढ़ो
सूरज–चाँद पर
उड़ान भरो ।
दिन–रात चौगुणा
विस्तार बनो
जीवन में आगे तुम
शिर्ष रहो ।
नव वर्ष तेरे नव जीवन में
आकर नव खुशियाँ
खूब बाँटे
मानव होकर
तुम मानव का
भरपुर जग में
सहयोग करो ।
हर पिछड़े, भूखे
जन, धन का
अपने बल से
उपकार करो ।
जीवन में खुशियाँ
खूब लूटो ।
हर मन के उस नफरत को
प्रेम अमृत से
उसे ध्वस्त करो ।
मानव होने का नाज सदा
उस प्रभु का यह
उपकार समझो
नव वर्ष में अपने नव कर्म से
मन के उपवन में खूब खिलो
कर्ममय अपने खुशबू से
इस जग को सुगन्धित
और खुशहाल करो
मानव होने का नाज करो ।।-०-
संगीता ठाकुर
ललितपुर (काठमांडू - नेपाल)
बहुत बहुत आभार है आदरणीय राजन शर! एवं संपादक मंडल यह कविता प्रकाशित करने के लिये।
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