सप्त भार्या
(कविता)
दुनिया में बीवियों सात हैं
साथियों के नियति की बात हैं
शादी में हाथ से हाथ लेते ,
वे सदा पतियों के साथ ही हैं ।
वृक्षों और लताएं बन कर
वर्षा के द्वारा इसे पानी दे कर
खुशी से रहने का आसमान सा
मातृ, भगिनी, दासी, सखी,
बीवियाँ हैं चाँद की तरह ।।
पाप में जलती रहती हैं
रेगिस्तान की तरह ही हैं
चोर, वधक, स्वामी हैं नाम
नरक में मालिक होने की
शैतानें सी इन पत्नियों के ।।।
-०-
(कविता)
दुनिया में बीवियों सात हैं
साथियों के नियति की बात हैं
शादी में हाथ से हाथ लेते ,
वे सदा पतियों के साथ ही हैं ।
वृक्षों और लताएं बन कर
वर्षा के द्वारा इसे पानी दे कर
खुशी से रहने का आसमान सा
मातृ, भगिनी, दासी, सखी,
बीवियाँ हैं चाँद की तरह ।।
पाप में जलती रहती हैं
रेगिस्तान की तरह ही हैं
चोर, वधक, स्वामी हैं नाम
नरक में मालिक होने की
शैतानें सी इन पत्नियों के ।।।
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