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Sunday, 16 February 2020

फेल (लघुकथा) - बजरंगी लाल यादव

फेल
(लघुकथा)
आज तान्या का रिजल्ट आया था, जो अपने पूरे क्लास में फर्स्ट डिवीजन से पास हुई थी। हालांकि उसके छोटा भाई मोहित के मार्कशीट में सिर्फ लाल स्याहियों का कब्जा था। जिसकी वजह से घर में मातम का माहौल पसरा था। तान्या के रिज़ल्ट को घर में ना किसी ने देखा, ना किसी ने उसके बारे में कुछ पूछा। क्योंकि घरवालों की सारी उम्मीदें सिर्फ मोहित से लगी थी,जो पढ़ाई में औसत था और शरारत में अव्वल दर्जे का शैतान।
तान्या ने जब अपने नामांकन के लिए सातवीं क्लास का नाम लिया तो रूपा मैम अवाक् होकर बोली-" तुम्हारा दिमाग तो नहीं खराब है? तुम पूरे क्लास में फर्स्ट आई हो... फर्स्ट..!तुम्हारा दाखिला आठवीं के बाद नौवीं कक्षा में होगा और तुम सातवीं क्लास की बेतुकी बातें कर रही हो.... कहीं आज तुमने भांँग तो नहीं खा-ली है?"
" दरअसल, मैम! पापा चाहते हैं कि मैं मोहित के ही क्लास में इस बार रहूं ,ताकि वह मेरे सहारे आगे बढ़ सके... और मांँ का भी कहना है कि बेटियां ज्यादा पढ़-लिख कर क्या करेंगी...? चूल्हा चौका ही तो देखना है..?" कहते हुए तान्या की आँखें भींग गई, मगर आंँसुओं को दुपट्टे में उसने छुपा लिया।
"ठीक है जाओ! कल तुम अपने पापा को लेकर आना, मैं उनसे बात करूंगी.."
" मैम! अब बात करने से कोई फायदा नहीं... क्योंकि जून में मेरी शादी तय हो चुकी है"।इस बार तान्या ने अपने आँखों से आंँसुओं को बहने दिया और वह फफक-फफक कर रो-पड़ी। क्योंकि इस समाज के दक़ियानूसी सोच के आगे तान्या पास होकर भी फेल हो गई थी।तान्या का होने वाला पति एक अधेड़ उम्र का विधुर व्यक्ति था।

-०-
पता:
बजरंगी लाल यादव
बक्सर (बिहार)
***
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