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Sunday, 16 February 2020

अभी मौका है (नज्म) - अनवर हुसैन

अभी मौका है 
(नज्म)
खुले आकाश में उड़ने से हमें किसने रोका है
हौसलो के पंख लगाने का अब भी मौका है

कोशिशें नहीं करने का के बहाने हजारों हैं
कोशिश ही ना करें यह खुद से धोखा है

नाकामी सबब है खुद को न झोंक पाने का
मंजिलें मकसूद पे जाने से किसने रोका है

ऐसा नहीं है कि वह तुमसे ज्यादा नायाब है
बस काम का ढंग उनका तुमसे अनोखा है

वक्त को जान लो,संग तुम उसके चलो
बहते दरिया मे पास तुम्हारे नोका है

मुश्किलें आजमाती है, सिखाती है हमें
उठता जुनून कामयाबी का झोंका है

वह भी तुम जैसा ही इंसान है मगर
उसने राह में मुश्किलों को बहुत भोगा है

पेट की भूख रात भर पानी से गुजार दी जिसने
मगर जेहन में उसने मकसद को पाला पोसा है

ख्वाब देख कर जिसने मकसद बनाया अपना
वही कामयाबी का सेहरा अपने सर संजोता है

थोड़ी दूर चलकर जो मुसाफिर लौट आया है
समझ ले वह उसका अभी जुनून बहुत छोटा है

गिरना,संभलना,उठना यह चलने की उसूल हैं
चलते चले जाना मंजिलों पर जिन्हें खोजा है
-०-
पता :- 
अनवर हुसैन 
अजमेर (राजस्थान)

***
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