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Wednesday, 25 March 2020

कसमें - वादें (कविता) - दीपिका कटरे

कसमें - वादें
(कविता)
कई कसमें , कई वादें ,
यूँ ऐसे तोड़ गए तुम।

तुम्हें जिस दिल में रखा था,
वहीँ दिल तोड़ गए तुम ।

किसी , और के खातिर,
मुझे रोता ,छोड़ गए तुम।

तुम्हें तो , हमदर्द समझा था,
बड़े खुदगर्ज, निकले तुम।

क्या कमी थी, मेरे प्रीत में,
एक बार तो ,कहते तुम।

तुम्हारी यादों का, वो वक़्त,
बड़ा ही सख़्त होता है।

तुम्हारी ही तरह, वो वक़्त भी,
बड़ा कम्बख़त होता है।
-०-
पता:
दीपिका कटरे 
पुणे (महाराष्ट्र)

-०-

***
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