बेटियाँ
(कविता)
हैं मान बेटियां ,
सम्मान बेटियां ।
गर्व का विषय,
गुणगान बेटियां।
लज्जा का आवरण,
अभिमान बेटियां ।
समझो न कम उन्हें,
बलवान बेटियां ।
हरदम सरल-सहज,
आसान बेटियां ।
संकल्प है प्रबल,
जयगान बेटियां ।
यश-कीर्ति पले,
उत्थान बेटियां ।
दुनिया बने नई,
अरमान बेटियां ।
छल,फ़रेब से,
अनजान बेटियां ।
धर्म,नीति की,
हैं जान बेटियां ।
बेटे के संग में,
सहगान बेटियां !
योग,साधना,
हैं ध्यान बेटियां !
ओलंपिक की बात तब,
सम्मान बेटियां !
परिवार दर्द में,
तो भान बेटियां !
नीति का सृजन,
हैं शान बेटियां !
अन्नपूर्णा,
हैं धान बेटियां !
हैं संस्कार की,
पहचान बेटियां !
दो कुल हँसें "नीलम"
हैं आन बेटियां !-०-
डॉ.नीलम खरे
व्दारा- प्रो.शरद नारायण खरे,
मंडला (मध्यप्रदेश)
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