नारी सब पर भारी हो !
(कविता)
नारी हो तुम
सब पर भारी हो
तुम किसी की बेटी बन
घर की रौनक बन जाती हो
नारी हो तुम
सब पर भारी हो ..... !
तुम बहन के रूप में
भाई की कलाई पर
पवित्र धागा बांध
भाई से रक्षा बंधन का भाव पाती हो
नारी हो तुम
सब पर भारी हो ..... !
नानी-दादी से बनते
कई रिश्तों की सौगात से
घर-परिवार-समाज को
अद्भूत सौन्दर्य से निखारती हो
नारी हो तुम
सब से भारी हो ..... !
वैवाहिक बंधन में बंध
गृहलक्ष्मी की भूमिका में
प्रेम,समर्पण,मर्यादा से
घर संसार को रोशन करती हो
नारी हो तुम
सब से भारी हो ..... !
धरती सा धीरज तो तुम हो
प्यार, दुलार,शक्ति-विश्वास की खान
तुम जननी,जीवन का सार हो
माँ, बन,जग में महान कहलाती हो
नारी हो तुम
सब से भारी हो ..... !!!
-०-
सब पर भारी हो
तुम किसी की बेटी बन
घर की रौनक बन जाती हो
नारी हो तुम
सब पर भारी हो ..... !
तुम बहन के रूप में
भाई की कलाई पर
पवित्र धागा बांध
भाई से रक्षा बंधन का भाव पाती हो
नारी हो तुम
सब पर भारी हो ..... !
नानी-दादी से बनते
कई रिश्तों की सौगात से
घर-परिवार-समाज को
अद्भूत सौन्दर्य से निखारती हो
नारी हो तुम
सब से भारी हो ..... !
वैवाहिक बंधन में बंध
गृहलक्ष्मी की भूमिका में
प्रेम,समर्पण,मर्यादा से
घर संसार को रोशन करती हो
नारी हो तुम
सब से भारी हो ..... !
धरती सा धीरज तो तुम हो
प्यार, दुलार,शक्ति-विश्वास की खान
तुम जननी,जीवन का सार हो
माँ, बन,जग में महान कहलाती हो
नारी हो तुम
सब से भारी हो ..... !!!
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