ज़रूरत
(लघुकथा)
निधि बड़े परिवार की इकलौती बहु नोकर चाकर की कोई कमी नही लेकिन फिर भी खुश नही थी।उसे तो बस रेनू भाभी जैसी वर्किंग वीमेन बनने की चाह थी।तभी एक दिन सुबह सुबह वो रेनू भाभी के पास शिकायत लेकर पहुचती है और बोलने लगती भाभी बस बहुत होगया भाभी अब और नही मेरी मरजी तो कोई चलने नही देता में भी अपनी मर्जी से चिंटू को जहाँ चाहु पढा़ सकती हूँ।अब तो जब में कमाऊंगी तभी अपनी मर्जी चला सकती हूँ ।निधि की बात सुनकर रेनू ने लम्बी साँस ली फिर बोली निधि एक बात बताओ क्या संजय ने कभी तुम्हारा मान नही रखा या तुम्हे बिना बताए कोई काम किया हो, नही ना फिर ये कैसी जिद्द नही भाभी मुझे तो बस आपकी तरह कमाना है ।निधि क्या तुम्हे हर महीने राशन का हिसाब रखना या फिर चिंटू के स्कूल की फीस की चिंता करनी पड़ती है ,एक औरत का कमाना तो सबको दीखता है लेकिन कोई ये नही पुछता की वो अपनी मर्जी से कमाना भी चाहती है कि नही कही उसकी कोई मज़बूरी तो नही है।अब निधि खामोश थी।
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