हे भगवान राम
(कविता)
रावण-संहारक,हे उध्दारक,तुम रोशन संसार करो
धर्म,नीति कम होते जाते,तुम इनका परसार करो
यह जीवन लगता है मानो, बोझ रखा सबके सिर पर,
तुम बनकर स्वामी औ' पालक,नाम नया उपहार करो ।
राम नाम लेकर के सारे,जीवन का सत्कार करो
गरिमा,मर्यादा के हक़ में,सत् की तुम जयकार करो
आज निराशा फैली भगवन्,तुम सम्बल देने आओ,
जिससे पापाचार रहे ना,तुम ऐसा उपचार करो ।
दशरथनंदन तुम परतापी,भवसागर से पार करो
हम अज्ञानी,हैं अबोध,तुम हरदम हमसे प्यार करो
पीड़ाओं ने हमको घेरा,व्यथा-वेदना मुस्काए,
आज रुदन में 'शरद' भक्त ,तुम कोरोना-संहार करो ।-०-
प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे
-०-
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