जब से देश मे आया कोरोना
(कविता)
जब से देश मे आया कोरोना,
केंद्र सरकार, राज्य सरकार
केंद्रशाषित प्रदेशो का हो गया चैन खोना,
एयरपोर्ट,रेल्वे स्टेशन, बस स्टैंडो में चेकिंग हो रही भारी,
किसी को हुआ तो नही, कोरोना महामारी,
आम खाँसी, सर्दी को भी लोग
कोरोना की नजरों से देख रहे है,
कुछ लोग फोकट में भी फेंक रहे है,
कोरोना के चक्कर मे
आम आदमी का जीना,
किसी नर्क से कम नही,
खाने के लिए राशन का दुकान
दवाई की दुकान, सामने सब्जी वाले का मकान,
और सामने पुलिस के जवान,
हाथ मे डंडा, और गुस्सा भरा चेहरा,
यह सब देख, आदमी घर आ रहा है,
अपनी कहानी घर वालो को बता नही पा रहा है,
लेकिन समस्या सुलझाना भी जरूरी,
शासन प्रशासन की मजबूरी है,
क्योकि इस बीमारी के पीछे
सब परेशान है,
अस्पताल के डॉक्टर, नर्स, स्टॉप सब हलकान है,
लॉकडाउन में जरूरी काम से ही
घर से निकलने की कोशिश करे,
अन्यथा जनहित आप पर भी भारी पड़ सकता है,-०-
केंद्र सरकार, राज्य सरकार
केंद्रशाषित प्रदेशो का हो गया चैन खोना,
एयरपोर्ट,रेल्वे स्टेशन, बस स्टैंडो में चेकिंग हो रही भारी,
किसी को हुआ तो नही, कोरोना महामारी,
आम खाँसी, सर्दी को भी लोग
कोरोना की नजरों से देख रहे है,
कुछ लोग फोकट में भी फेंक रहे है,
कोरोना के चक्कर मे
आम आदमी का जीना,
किसी नर्क से कम नही,
खाने के लिए राशन का दुकान
दवाई की दुकान, सामने सब्जी वाले का मकान,
और सामने पुलिस के जवान,
हाथ मे डंडा, और गुस्सा भरा चेहरा,
यह सब देख, आदमी घर आ रहा है,
अपनी कहानी घर वालो को बता नही पा रहा है,
लेकिन समस्या सुलझाना भी जरूरी,
शासन प्रशासन की मजबूरी है,
क्योकि इस बीमारी के पीछे
सब परेशान है,
अस्पताल के डॉक्टर, नर्स, स्टॉप सब हलकान है,
लॉकडाउन में जरूरी काम से ही
घर से निकलने की कोशिश करे,
अन्यथा जनहित आप पर भी भारी पड़ सकता है,-०-
राम नारायण साहू 'राज'
रायपुर (छत्तीसगढ़)
-०-
No comments:
Post a Comment