*** हिंदी प्रचार-प्रसार एवं सभी रचनाकर्मियों को समर्पित 'सृजन महोत्सव' चिट्ठे पर आप सभी हिंदी प्रेमियों का हार्दिक-हार्दिक स्वागत !!! संपादक:राजकुमार जैन'राजन'- 9828219919 और मच्छिंद्र भिसे- 9730491952 ***

Friday, 17 April 2020

परोपकार का भाव (ग़ज़ल) - सत्यम भारती

परोपकार का भाव
(गजल)
कितना स्वच्छ सुंदर अपना शहर रखता है,
परोपकार का भाव ठहरा शज़र रखता है ।

ग़म में बिखर कर भी हमेशा मुस्कुराता है ,
अपने साथ वह यादों का सफ़र रखता है ।

तरक्की के शिखर पर अब वही पहुंचता,
जो दिल इधर औ' दिमाग उधर रखता है ।

अब साजिशों से बच पाना है इधर मुश्किल ,
वो अपनों से बचने के लिए खंजर रखता है ।

शालीनता कहाँ शहरों की भूल-भुलैया में ,
वो तो घने साये में भी दोपहर रखता है ।

अपने किए की सजा सब यहीं भोग जाते ,
कोई तो है जो सब पर नज़र रखता है ।

वक्त के रण में हमेशा बनता वही सिकंदर ,
जो दोस्त संग दुश्मनों की भी ख़बर रखता है ।

अबकी हादसे में कम मिले अस्थि-पंजर ,
कौन है जो लाशों पर पत्थर रखता है ? -०-
पता-
सत्यम भारती
नई दिल्ली
-०-

***
मुख्यपृष्ठ पर जाने के लिए चित्र पर क्लिक करें 

No comments:

Post a Comment

सृजन रचानाएँ

गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०
हार्दिक बधाई !!!

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०
हार्दिक बधाई !!!

सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित

सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ