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Sunday 19 April 2020

प्रकृति और नव वर्ष (कविता) - अनामिका रोहिल्ला

प्रकृति और नव वर्ष
(कविता)
प्रकृति का दोहन
ना करें,इंसान
वरना भुगतने
पड़ेंगे भयानक परिणाम

प्रकृति जब संतुलन
बनाती है,
तो कोरोना वायरस
रूपी कोहराम
मचाती है।

यह असंतुलन
इंसानों पर
पहले भी ,पड़ा था
जब प्रकृति ने
बुलबुल चक्रवात,
अमेजन की भीषण आग,
केदारनाथ में बादल फटना,
ग्रेटा थन बर्ग का यूएनओ में रुदन
संकेत दिए बारी-बारी
अब तो सुधर जा मनुज
अब है,
तेरी बारी

आओ इस
नव वर्ष पर
संकल्प करें,
कि प्रकृति के प्रति,
कृतज्ञता का भाव धरे
उसे सवार कर
उसका नित,
आभार प्रकट करें।
-०-
पता:
अनामिका रोहिल्ला
दिल्ली 
-०-

***
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