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Saturday, 4 April 2020

सब बंद है (कविता) -प्रकाश तातेड़

सब बंद है
(कविता)
हवाई जहाज, रेलवे, बसे सब बंद है
पूरी तरह चक्का जाम है ।
बाजार, मॉल, सिनेमा सब बंद है
चहल-पहल गायब है ।
स्कूल, कॉलेज, ऑफिस सब बंद है
तरक्की का पहिया रुका है।
सड़के, चौराहे, बगीचे सब बंद है
सब जगह विरानी छाई है।
मंदिर,मस्जिद, गिरजाघर सब बंद है
सर्वत्र शांति का साम्राज्य है।
संसद, विधानसभा, न्यायालय सब बंद है
सब ओर सन्नाटा पसरा है।
अखबार, कारखाने,खेती-बाड़ी सब बंद है खामोशी ने डेरा डाला है।
जीव -जंतु,पशु -पक्षी आजाद है
मगर आदमी पिंजरे में कैद है।
हाथ धोने, मास्क लगाने को पाबंद है।
यह वर्ष 2020 में मार्च के
चौथे सप्ताह का आंखों देखा हाल है।
विश्व का कोना-कोना कोरोना वायरस के
प्रचंड प्रकोप से पीड़ित है ।
लाखों लोग संक्रमित है,
जिंदगी मौत के बीच अटके हैं।
हजारों मौत के मुंह में समा चुके हैं।
देश, प्रदेश व शहर की सीमाएं लोक डाउन है
भय, आशंका,कर्फ्यू सा माहौल है।
जीवन थम सा गया है, मगर फिर भी
अस्पताल खुले हैं, दवाएं उपलब्ध है
दूध, सब्जी, किराने की सुविधा है
हर दिशा में पुलिस का पहरा है।
टीवी, मोबाइल, नेट चालू है
हवा, पानी, पेड़, पेट्रोल खुश है।
यह खट्टा-मीठा,विचित्र अनुभव
लेने को आदमी जिंदा है
परन्तु घोर आश्चर्य, वह
अपने किए पर तनिक नहीं शर्मिंदा है।
-०-
पता-
प्रकाश तातेड़
उदयपुर(राजस्थान)
-०-

***
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