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Saturday, 9 May 2020

बेटियां प्यारी हैं (कविता) - अख्तर अली शाह 'अनन्त'


बेटियां प्यारी हैं 
(कविता)

दुराचारियों हत्यारों को ,
फांसी पे लटका दे हम ।
बोटी बोटी काट के चीलों,
कव्वो में बटवा दें हम।।
दंड देखकर देहशत में ,
अपराधी जिस दिन आएंगें।
मुक्ति मिलेगी कीचड़ से ,
जीवन निर्मल हो जाएंगें।।
****
जिसने चैन हमारा छीना,
नहीं चैना से रह पाएं।
ऐसी कर दो गति जहां,
जायें बस ठोकर ही खाएं।।
भले आसिफा हो या हो,
निर्भया बेटियां प्यारी हैं ।
एक सुरक्षित जीवन जी ,
पायें इसकी अधिकारी हैं ।।
******
यह समाज की जिम्मेदारी,
है उनको सम्मान मिले ।
उन्हें मिले जो आसपास में ,
अपने वो इंसान मिले ।।
बने जानवर जो समाज में,
रहते उनको दुत्कारो ।
जहां कहीं मिल जाए उन्हें,
नंगे करके जूते मारो।।
******
बेटी तभी बचेगी यह ,
अभियान सफल हो पाएगा।
उजले चेहरे होंगे अपने,
तभी सुकूं भी आएगा।।
इस मुरदार व्यवस्था को,
बदलें हम दिल से बागी हों।
वैचारिक इस महायज्ञ में ,
हम"अनन्त" सहभागी हों ।।-0-
अख्तर अली शाह 'अनन्त'
नीमच (मध्यप्रदेश)
-०-

***
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