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Sunday, 3 May 2020

लौट आई गर्मिया ( कविता ) - अशोक 'आनन'


लौट आई गर्मिया
( कविता )
लौट आईं
आग लगीं -
ये गर्मियां फिर से ।

पंख
गर्म हवाओं के -
निकल आए ।
सूरज ने
लू के अलाव -
जलाए ।

आंखों में
धूल झोंक रहीं -
ये आंधियां फिर से ।

पानीदार नदियों के
अब -
कंठ सुखाने ।
मिट गए
पानी के -
वंश और घराने ।

धरती कराह रही
फटीं -
ये बिवाइयां फिर से ।

दिखें न अब
कहीं -
छांव की गौरैया ।
बे- लगाम हुआ
अब -
मौसम का कन्हैया ।

छुट्टियों की
दाख़िल हुईं -
ये अर्ज़ियां फिर से ।
-०-
पता:
अशोक 'आनन'
शाजापुर (म.प्र.)

-०-




***
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