*** हिंदी प्रचार-प्रसार एवं सभी रचनाकर्मियों को समर्पित 'सृजन महोत्सव' चिट्ठे पर आप सभी हिंदी प्रेमियों का हार्दिक-हार्दिक स्वागत !!! संपादक:राजकुमार जैन'राजन'- 9828219919 और मच्छिंद्र भिसे- 9730491952 ***

Tuesday, 5 May 2020

स्वप्न अवनी से (गजल) - सत्यम भारती

स्वप्न अवनी से
(गजल)
स्वप्न अवनी से निकल अब जाग तू,
मिहनत की चिंगारी से लगा आग तू ।

नफरते-मर्सिया गाता पपीहा इधर ,
बुलबुल सुना अमन का राग तू ।

जीत का मजा़ संघर्षों की तलब में है,
वक्त के थपेड़ों से ना भाग तू ।

प्रेम नहीं विष भरा मानव के अंदर ,
डस कर मर जाएगा नाग तू ।

मुद्दतों से राधा नाराज है मुझसे ,
दिल जलाने आया है फाग तू ।

इश्क़ का मारा सुकूँ नहीं पाता कहीं,
दिल लगाने से अच्छा ले ले बैराग तू ।
-०-
पता-
सत्यम भारती
नई दिल्ली
-०-

***
मुख्यपृष्ठ पर जाने के लिए चित्र पर क्लिक करें 

1 comment:

  1. सुन्दर रचना के लिए आपको बहुत बहुत बधाई है आदरणीय !

    ReplyDelete

सृजन रचानाएँ

गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०
हार्दिक बधाई !!!

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०
हार्दिक बधाई !!!

सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित

सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ