*** हिंदी प्रचार-प्रसार एवं सभी रचनाकर्मियों को समर्पित 'सृजन महोत्सव' चिट्ठे पर आप सभी हिंदी प्रेमियों का हार्दिक-हार्दिक स्वागत !!! संपादक:राजकुमार जैन'राजन'- 9828219919 और मच्छिंद्र भिसे- 9730491952 ***

Monday, 10 August 2020

चले गए बादल (कविता) - शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी’

चले गए बादल
(कविता)
आए तो थे, किन्तु गरज कर,
चले गए बादल.

सघन स्वरूप हवाओं का रुख,
गति के सँग घूमा,
मानसून से मिला, नमी का,
भौतिक मुख चूमा,
इंद्रदेव के, मंत्रसूत्र में,
ढले गए बादल.

तेज हवा के, राजमार्ग से,
आसमान चौका,
मड़ई, चूक गई अपनी छत,
छाने का मौका,
ऊपर सूरज, नीचे धरती,
दले गए बादल.

बादल घिर तो गये, कहीं भी,
झींसी नहीं झरी,
फूलों की अनमनी पँखुड़ियाँ,
रोती झिरी-परी,
किस मौसम विभाग के द्वारा,
छले गए बादल.

बस अड्डे के पीछेवाला,
नाला अंध पड़ा,
जलनिकास की, बाधित नाली,
रस्ता गंध सड़ा,
कालिख, कथित प्रगति के मुँह पर,
मले, गए बादल.-०-
पता: 
शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी’
मेरठ (उत्तरप्रदेश)
-०-


***
मुख्यपृष्ठ पर जाने के लिए चित्र पर क्लिक करें 

No comments:

Post a Comment

सृजन रचानाएँ

गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०
हार्दिक बधाई !!!

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०
हार्दिक बधाई !!!

सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित

सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ