क्या... ढूंढ रहे हैं
जो जीवन की, साथर्कता बतलायें।
मानव जीवन के,
सोपानों को, सिद्ध कर जायें ।
नई सोच से, नई लग्न से,
जीवन के आयाम बनायें ।
ऐसा ही कुछ ढूंढ रहे है।
हर मुश्किल से जा टकरायें।
हिम्मत बांध खडा हो जायें।
झूठ के सौ पैर हुए,....तो क्या?
सच के साथ अडिग रह जायें।
सच्चा प्यार हो दिलों में,
ढोंग न दिखावा हो ।
चेहरों के अनगिणत मुखौटों में,
जो चेहरा एक चेहरे वाला हो।
ऐसा ही कुछ ढूंढ़ रहें है।
पता:
प्रीति शर्मा 'असीम'
नालागढ़ (हिमाचल प्रदेश)
-०-
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