*** हिंदी प्रचार-प्रसार एवं सभी रचनाकर्मियों को समर्पित 'सृजन महोत्सव' चिट्ठे पर आप सभी हिंदी प्रेमियों का हार्दिक-हार्दिक स्वागत !!! संपादक:राजकुमार जैन'राजन'- 9828219919 और मच्छिंद्र भिसे- 9730491952 ***

Wednesday 21 October 2020

■■ शहर ■■ (कविता) - अलका 'सोनी'

 

■■ शहर ■■
(कविता)
मैं शहर हूं 
जागा हुआ रहता  
रात भर हूं 
चैन की नींदें 
कहां भाग्य मेरे 
व्यस्तता ही रहती 
हमेशा साथ मेरे 

हता हूं मैं भी 
कभी हो सवेरा ऐसा 
जब ना कोई 
बेसबर हो 

शांति भरी हो रातें 
और सुनहरी सी 
सहर हो 
सड़कों पर ना हो 
ये भागती गाड़ियां 
अखबारों में भी 
अमन की खबर हो 
गांवों की वो सरलता 
कहां से मैं लाऊं  
वह मोहक हरियाली 
खुद में कैसे सजाऊं 

यहां तो समय की 
रहती आपाधापी 
सबको कहीं 
पहुंचने की होती जल्दी 
खेतों की हरीतिमा 
नदियों की कल-कल 
कहीं पीछे अपने
मैं छोड़ आया 
अपनों का नेह,
सजीले चौखटों से 
कब का हूँ मैं
मुंह मोड़ आया।
-०-
अलका 'सोनी'
बर्नपुर- मधुपुर (झारखंड)

-०-

***
मुख्यपृष्ठ पर जाने के लिए चित्र पर क्लिक करें 

1 comment:

  1. रचना को प्रकाशित करने के लिए हार्दिक आभार .....💐💐

    ReplyDelete

सृजन रचानाएँ

गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

गद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०
हार्दिक बधाई !!!

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०

पद्य सृजन शिल्पी - नवंबर २०२०
हार्दिक बधाई !!!

सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित

सृजन महोत्सव के संपादक सम्मानित
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ