☆☆बेटियाँ☆☆
(कविता)बेटियां गज़ल है ये बेटियां नज़्म हैं
सबके जीवन में ये गूंजती सरगम हैं
गुलशन की कली है वो
पर नाखुशी में पली है वो
जो दर्द में लब न खोले
वक्ती ढांचे में ढली है वो
जो दर्द की दवा है
गमों में जो मरहम है
बेटियां गज़ल है ये बेटियां नज़्म हैं
सबके जीवन में ये गूंजती सरगम हैं
हरदम ये साए - सी हमारी
सबको क्यू है इनसे दुश्वारी
जो खुशी से भरा खजाना
जिनसे चलती दुनिया सारी
ये नूर है ज़मीं की
आसमां की नज़्म है
बेटियां गज़ल है ये बेटियां नज़्म हैं
सबके जीवन में ये गूंजती सरगम हैं
मोहब्बती की बारिशों से
बनाया गया है जिस को
माटी की मूरत है वो जिस
में खुदा ने उतारा खुद को
ये जन्नत की चाबियां है
आख़िरत का ये जश्न हैं
बेटियां गज़ल है ये बेटियां नज़्म हैं
सबके जीवन में ये गूंजती सरगम हैं
जिनसे दिल को सुकून है
ये ज़िदंगी का जनुनू है
जिन पे नाज है सभी को
की ये हमारा ही खून है
ये पहाड़ों की है रेे गंगा
सहरा में रेत सी गर्म है
बेटियां गज़ल है ये बेटियां नज़्म हैं
सबके जीवन में ये गूंजती सरगम हैं
सबकी राहों में फूल बिछाती
जो सब की बाहों में समाती
जो हर दिल की आरज़ू है
जो हर घर को घर बनाती
जो दिए सी है जलती
रोशनी की किरण है
बेटियां गज़ल है ये बेटियां नज़्म हैं
सबके जीवन में ये गूंजती सरगम हैं
यह रण में झांसी बनती है
कभी पन्ना का रूप धरती है
ये दुर्गा के नौ रूपों वाली
हर रूप में सजती संवरती है
पथरीले इस जहां में
दिल जिसका नरम है
बेटियां गज़ल है ये बेटियां नज़्म हैं
सबके जीवन में ये गूंजती सरगम हैं
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