(कविता)
तुम बन जाओ गीत मेरे,
मैं नृत्य बनकर गाऊंगी,
तुम बन जाओ भ्रमर तो,
तो फूल बनके आऊंगी।
तुम बन जाओ चितचोर,
मैं प्रेमिका बन लुभाऊंगी,
तुम बनोगे ढोलक अगर,
मैं सारंगी बनके आऊंगी।
तुम मेरे दिल की धउ़कन,
मैं दिल का रूप बनाऊंगी,
तुम बनाकर आओ हँसी,
मैं होठों पर मुस्कराऊंगी।
तुम आग का रूप बनोगे,
मैं पानी बन प्यास बुझाऊं,
जब जब तुम मुझे पुकारो,
मैं संगिनी बन कर आऊंगी।
तुम होठों का रूप धरोगे,
मैं बंशी तेरी बन जाऊंगी।,
तुम प्रेम से याद करो तो,
गीत बनकर ही गाऊंगी।।
-०-
पता: होशियार सिंह यादव
महेंद्रगढ़ (हरियाणा)
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