पावस ऋतु
गोपीं गा रहीं राग मल्लार , प्यारी पावस की ऋतु आई ।
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भक्ति वर्षा ऋतु सम आई, दई मेघों ने झरी लगाई ।
प्रमुदित मन रहे गायक गाई । प्यारी....................१
गर्मी लू लपटै अब नईया, अंकुर हरे हरे चरै गईया ।
न ई न ई वनस्पति र ई छाई । प्यारी ....................२
गिरि के शैल सभी धुल गये है, उपवन हरे भरे सब भये है ।
सृष्टि सुरभि सुमन महकाई । प्यारी .....................३
दादुर वटुक वेद ध्वनि करै, वन में हिरन सुचालै भरै ।
नाचै मोर शोर सुनत बदराई । प्यारी .........................४
झूला झूलन समय सुहाई, प्रिया की देखें राह कन्हाई ।
कान्हा वंशी मधुर वजाई । प्यारी.................................५
जामुन आम रसीले भारी , तरू पर अलि समूह छवि प्यारी ।
पक पक पेड़ तरै रहे छाई ।............................६
-०-पता:
राजेश तिवारी 'मक्खन'
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