📖✍️ किताबें ✍️📖
(कविता )
हाँ हम किताबें हैं ......
युगों युगों के इतिहास समाज की
भावनाएँ संचित रखती हैं ,
जन जन के व्यक्तित्व को
जीवन मूल्यों से सींचित करती हैं ।
मोह , माया , अहंकार में भटके
अंधियारे की हम दीपशिखा हैं ,
सृष्टि के जीव मात्र को
सँवरने की उत्तम जीवन रेखा है ।
युग युग के मनुष्य भावों के
दस्तावेज के रक्षक हैं ,
व्यक्ति, समाज के अभिनीत के
रंगमंच के शिक्षक हैं ।
ऋषि - मुनियों के चिन्तनों की
अमूल्य संपत्ति का भण्डार हैं ,
वेद, पुराण, महाभारत, रामायण
उदात्त जीवन के रत्नाकर हैं ।
त्रिभुवन में सावित्री का सत्
और श्याम की गीता हैं ,
विश्व में पार्वती का तप
और राम की सीता हैं ।
वेदव्यास, वाल्मीकि, तुलसी
बुद्ध, गांधी की धरोहर हैं ,
तुलसी, सुर, कबीर, जायसी और
मीरा की सहोदर हैं ।
साधु-संतों की मंगल वाणी का
हम किताबें सुर-मंदिर हैं ,
वीरों,शहीदों के त्याग ,समर्पण ,
शौर्यता के उर-मंदिर हैं ।
मानव उर्मि और चेतना के
अनंत ज्योति के पुँज हैं ,
आत्मोत्सर्ग के विश्ववाणी के
गीता सी अमर गूँज हैं ।
उत्तम ,शिक्षा, धर्म, कर्म के
नेक रास्ते की पाठशाला है ,
श्रेष्ठ जीवन मूल्यों के
निर्माण की कार्यशाला है ।
किसान, मजदूर, पीडितों ,
शोषितों की करुण वेदना है ,
दीन-दुखी, धृणित ,अन्यायी की
कोमल प्रेम संवेदना है ।
एक एक ध्वनि में प्राण और
प्रत्येक शब्द में भाव सुंदर हैं,
एक एक वाक्य में रस और
परिच्छेद में माधुर्य बरकरार है ।।
हाँ हम किताबें हैं...
-०-
No comments:
Post a Comment