शैलपुत्री
(घनाक्षरी)
अख्तर अली शाह 'अनन्त'
प्यारे प्यारे चेहरे हैं प्यारे प्यारे रूप लिए ,
हर कोई देख देख वारी वारी जाता है।
हिमालय की पुत्री है शैलपुत्री सख्तजान,
महिमा को उसकी तो,सारा जग गाता है।।
दृढ़ता की है मिसाल ,वृषभ वाहन रखे ,
कितनी है मनहर , रूप बड़ा भाता है।
अपमान पति का जो,सह नहीं पाई जरा,
योग की अग्नि में भष्म, हुई सती माता है।।
देवताओं का किया है चूर गर्व देवी वही,
हेमवती , शैलपुत्री कहलाने वाली है।
पीर हरे अपनों की,लाज रखे सपनों की,
महामाया, विघ्नहरे वही महाकाली है।।
प्रजापति दक्षकी जो कन्यारही जानेसभी,
गिरीराजा हिमाला की सुता वो निरालीहै।
उसकी वो हुई यहां आदर से जिसने भी,
-0-हर कोई देख देख वारी वारी जाता है।
हिमालय की पुत्री है शैलपुत्री सख्तजान,
महिमा को उसकी तो,सारा जग गाता है।।
दृढ़ता की है मिसाल ,वृषभ वाहन रखे ,
कितनी है मनहर , रूप बड़ा भाता है।
अपमान पति का जो,सह नहीं पाई जरा,
योग की अग्नि में भष्म, हुई सती माता है।।
देवताओं का किया है चूर गर्व देवी वही,
हेमवती , शैलपुत्री कहलाने वाली है।
पीर हरे अपनों की,लाज रखे सपनों की,
महामाया, विघ्नहरे वही महाकाली है।।
प्रजापति दक्षकी जो कन्यारही जानेसभी,
गिरीराजा हिमाला की सुता वो निरालीहै।
उसकी वो हुई यहां आदर से जिसने भी,
पायाहै आशीष रूठी माताको मनालीहै।।
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अख्तर अली शाह 'अनन्त'
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