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Sunday, 25 October 2020

अपना नंबर (कविता) - राजेश तिवारी 'मक्खन'

 

अपना नंबर
(कविता)
ममतामयी माँ मेरी तुझ पर ,सब कुछ है कुर्बान ।
तुम्ही जगत को रचने वाली , इस सृष्टि की शान ।।

ब्रह्म देव ने आराधन कर ,शक्ति रूप तुम्हें पाया ।
सृजन कार्य को शुरु किया ,तब त्रिलोक बनाया ।
पालन करने को विष्णु के,   तुम श्री अंग समानी ।
बनी शक्ति संहारक शिव की,श्रीगिरिजा महरानी ।
तुम ही वेद मयी गायत्री, सब शास्त्रों  का ज्ञान ।।................॥१॥

तुम ही उमा रमा ब्रह्माणी, तुम शची सावित्री सीता ।
कमला काली व्रजेश्वरी तुम,  हरि मुख निसृत गीता ।
दुर्गा दुर्गति  नाशनि तुम हो  ,तुमकुल कमल विकाशनि ।
तुम ही सकल विश्व में व्यापी, शक्ति सूर्य  शशि भासनि ।
सकल सृष्टि के जीव जहनों की , एक तुम्ही हो जान ।।.............॥.२॥

मेधा प्रज्ञा कल्याणी  तुम, पीताम्बर   राज रानी हो ।
मुनीश्वरों की मनन शक्ति तुम , ज्ञान  शक्ति ज्ञानी हो ।
पीताम्बरा  पार्वती तुम हो धूमा  कात्यायनी धन्या ।
गंगा यमुना सरस्वती तुम ,  जह्यनुऋषि की कन्या ।
स्वाहा स्वधा धरा धारा धन , तुम धरनी धर ध्यान ।।...............॥३॥

तूम काली कलकत्ते वाली ,  हिंगलाज महारानी ।
तुम मैहर की मातु शारदा ,  तेरी अकथ कहानी ।
जन्म दात्री  तुम्हीं धात्री , गायत्री गंगा माँ गीता ।
तेरी कृपा कटाक्ष बिना न , नर कोई जग में न जीता ।
श्री समृद्धि सद बुद्धि तुम , माँ तुम्हीं वेद का ज्ञान ।।................॥४॥-०-
पता:
राजेश तिवारी 'मक्खन'
झांसी  (उत्तरप्रदेश)

-०-

***
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