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Wednesday, 9 December 2020

अपने भाग्बय विधाता (मुक्तक) - एस के कपूर 'श्रीहंस'

  

अपने भाग्बय विधाता
(मुक्तक)

ये जिंदगी खुद ही उलझाई और
सुलझाई भी  जाती  है।

अपने कर्मों से ही मान अपमान
की राह बनाई जाती है।।

स्वर्ग नर्क हम सब स्वयं  ही पाते
है   इसी  ही  धरती  पर।

अपने ही हाथों भाग्य  की लकीर
बनाई और मिटाई जाती है।।

-०-
पता:
एस के कपूर 'श्रीहंस'
बरेली (उत्तरप्रदेश) 

-०-

***
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