'हिन्दी का गौरव गान करें'
(कविता)आओ विश्व हिन्दी दिवस पर,हिन्दी का गौरव गान करें ।
भारत माँ की इस बिंदी पर,हम थोड़ा सा अभिमान करें।
गीत कहानी कविताओं का,उपजा इससे संसार है ।
हिंदुस्तानी ज्ञान गंगा की,इसमें बहती रसधार है ।
यह सूर, कबीर, तुलसी, रसखान,
मीरा, सुभद्रा, महादेवी की शान।
गांधी, नेहरु, तिलक महान,
दिनकर, निराला, पंत जी की पहचान ।
विदेशियों ने भी आकर यहाँ,गाया हिन्दी का गुण गान।
हिन्दी में ही सब शोध किये,हिन्दी पढ़ाकर पाया मान ।
ईसाई धर्म का प्रचार करने,
बेल्जियम से फादर कामिल बुल्के थे आये।
भारत की भाषा और हिन्दी भाषी लोग,
उनके मन को बहुत ही भाये ।
कलकत्ता यूनिवर्सिटी से उन्होंने,संस्कृत में डिग्री ली ।
सन उन्नीस सौ पचास में उन्होंने,
रामकथा पर पीएचडी की।
फिर रांची के सेंट जेवियर्स कॉलेज में,
हिन्दी के प्राध्यापक बने।
प्रतिदिन नये शब्दों को खोज कर,
हिन्दी शब्द कोश विस्तारक बने।
बुल्के जी का कहना था,कि संस्कृत भाषा महारानी है।
हिन्दी अपनी रानी जैसी, और अंग्रेजी नौकरानी है।
आओ हम भी नवल प्रयास करें।
अपनी रानी मां से सुभाष करें।
अपनी इस हिन्दी मातृभाषा पर,
गर्वोक्ति का अहसास करें।
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पता
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