बया
(कविता)
कुशल कारीगर बया होता,
बारिश व आंधी नहीं रोता,
सर्दी, गर्मी कभी पड़ती हो,
आराम से नींद बच्चा सोता।
टेलर बर्ड नाम होता इसका,
तिनका तिनका करे इकट्ठा,
छोटा सा यह सुंदर पक्षी हो,
ना मिले कभी हट्टा कट्टा।
सीख इसी ने दी बंदर कभी,
खोया डाला अपना इसने घर,
पर जो शिक्षा देते हैं जग को,
नहीं होना चाहिए कभी डर।
सदा सबक देता यह आया,
पक्षी होकर यह इंसान को,
हजारों सालों से चला आया,
खोता नहीं निज पहचान को।
बया नाम का पक्षी जगत में,
छोटा,सुंदर,अजब निराला है,
उसको सदा खुशी मिली है,
जो दे पक्षियों को निवाला है।
-०-
पता: होशियार सिंह यादव
महेंद्रगढ़ (हरियाणा)
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